बाप बेटी

बेटी की बिदाई के वक्त बाप सबसे आखरी में रोता है,बाकी सब भावुकता में रोते है पर बाप उस बेटी के बचपन से बिदाई तक के पल याद कर कर के रोता है माँ बेटी के रिश्तों पर तो बात होती ही है पर बाप ओर बेटी का रिश्ता भी समुद्र से गहरा है, हर बाप घर के बेटे को गाली देता है धमकाता है मारता है पर वही बाप अपनी बेटी की हर गलती नकली दादागीरी से नजरअंदाज कर देता है ,बेटे ने कुछ मांगा तो एक बार डाट देता है पर बेटी ने धीरे से भी कुछ मांगा तो बाप को सुना जाता है और जेब मे हो न हो बेटी की इच्छा पूरी कर देता दुनिया उस बाप का सबकुछ लूट ले तो भी वो हार नही मानता पर अपनी बेटी के आंख के आंसू देख कर खुद अंदर से बिखर जाए उसे बाप कहते है, और बेटी भी जब घर मे रहती है तो उसे हर बात में बाप का घमंड होता है किसी ने कुछ कहा कि तपाक से बोलती है पापा को आने दे फिर बताती हूँ। बेटी घर मे रहती तो माँ के आंचल में है पर बेटी की हिम्मत उसका बाप रहता है। ___ बेटी की जब शादी में बिदाई होती है तब वो सबसे मिलकर रोती तो है पर जैसे ही बिदाई के वक्त कुर्सी समेटते बाप को देखती है जाकर झूम जाती है लिपट जाती है ऐसा कस के पकड़ती है बाप को जैसे माँ अपने बेटे को,क्योंकि उस बच्ची को पता है ये बाप ही है जिसके दम पर मैने हर जिद पूरी की थी, खैर बाप खुद रोता भी है और बेटी की पीठ ठोंककर फिर हिम्मत देता है कि बेटा चार दिन बाद आ जाऊँगा लेने और खुद जानबूझकर निकल जाता है किसी कोने में ओर उस कोने में जाकर कितना फुट-फुट कर रोता है वो बाप ये बात सिर्फ बेटी का बाप ही समझ सकता है, जब तक बाप जिंदा रहता है बेटी मायके में हक़ से आती है और घर मे भी जिद कर लेती है और कोई कुछ कहे तो डट के बोल देती है कि मेरे बाप का घर है ,पर जैसे ही बाप मरता है और बेटी आती है वो इतनी चीत्कार करके रोती है कि सारे रिश्तेदार समझ जाते है कि बेटी आ गई है वो बेटी उस दिन हिम्मत हार जाती है क्यो की उस दिन उसका बाप नही हिम्मत मर जाती है, बाप की मौत के बाद बेटी कभी अपने भाई के घर जिद नही करती जो मिला खा लिया जो दिया पहन लिया क्योंकि उसका बाप था तब तक सब कुछ उसका था वो जानती है। आगे लिखने की हिम्मत नही है बस इतना कहती हूं बाप के लिए बेटी उसकी जिंदगी होती है पर वो कभी बोलता नही, और बेटी के लिए बाप दुनिया की सबसे बड़ी हिम्मत और घमंड होता है पर बेटी भी कभी बोलती नहीं, बाप बेटी का प्रेम समुद्र से भी गहरा है..